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  • समस्त कष्टों का निवारण करें हनुमान यंत्र
    समस्त कष्टों के निवारण के लिए हनुमानजी को यंत्र साधना के द्वारा भी प्रसन्न किया जा सकता है। क्योंकि इनमंर स्वयं हनुमानजी विराजमान रहते हैं। इसके लिए प्रातः नित्यकर्मों से निवृत होकर एवं स्नान करने के बाद लाल वस्त्र पहनें।

    तत्पश्चात कुश या ऊन के आसन पर बैठकर हनुमानजी की मूर्ति पर या यंत्र को सामने रखें और सिंदूर, चावल, लाल पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें। इसके अलावा बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। फिर पुष्प हाथ में लेकर निम्न श्लोक पढ़ें-

    अतुलित बलधामं हेम शैलाभदेहं,
    दनुज-वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌।
    सकल गुणानिधानं वानराणामधीशं,
    रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

    इसके पश्चात हनुमानजी को पुष्प अर्पित कर दें। अब हनुमानजी का ध्यान करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें।

    अंत में लाल चंदन की माला से 108 बार 'हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्' मंत्र का नित्य जाप करें।
  • हनुमान के मनचाही सफलता के लाजवाब टोटके
    हनुमान के टोटके विशेष फल प्रदान करते हैं। हनुमान जयंती का दिन हनुमानजी और मंगल देवता की विशेष पूजा का दिन है। यह टोटके हनुमान जयंती से आरंभ कर प्रति मंगलवार को करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस युग में हनुमानजी की पूजा सबसे जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी गई है।
    • मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति की सेवा हनुमान जयंती के दिन और बाद में महीने में किसी भी एक मंगलवार को करने से आपका मानसिक तनाव हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
    • हनुमान जयंती पर और बाद में साल में एक बार किसी मंगलवार को अपने खून का दान करने से आप हमेशा दुर्घटनाओं से बचें रहेंगे।
    • 'ॐ क्रां क्रीं क्रों स: भौमाय नम:' मंत्र का एक माला जाप हनुमान जयंती व मंगलवार को करना शुभ होता है।
    • 5 देसी घी के रोट का भोग हनुमान जयंती पर लगाने से दुश्मनों से मुक्ति मिलती है।
    • व्यापार में वृद्धि के लिए हनुमान जयंती को सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमानजी को पहनाइए।
    • हनुमान जयंती पर मंदिर की छत पर लगाइए लाल झंडा और आकस्मिक संकटों से मुक्ति पाइए।
    • तेज और शक्ति बढ़ाने के लिए हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड, रामायण, राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
  • इन हनुमान मंत्रों से वर्ष भर रहें सुरक्षित
    जीवन में शक्ति और सिद्धि की कामना को पूरी करने के लिए श्रीहनुमान उपासना अचूक मानी जाती है। दरअसल, श्रीहनुमान व उनका चरित्र जीवन में संकल्प, बल, ऊर्जा, बुद्धि, चरित्र शुद्धि, समर्पण, शौर्य, पराक्रम, दृढ़ता के साथ जीवन में हर चुनौतियों या कठिनाइयों का सामना करने व उनसे पार पाने की अद्भुत प्रेरणा है। श्री हनुमान चिरंजीवी भी माने जाते हैं। ऐसी अद्भुत शक्तियों व गुणों के स्वामी होने से ही वे जाग्रत देवता के रूप में पूजनीय हैं। इसलिए किसी भी वक्त हनुमान की भक्ति संकटमोचन करने के साथ ही तन, मन व धन से संपन्न बनाने वाली मानी गई है। नए साल की शुरुआत भी हनुमान भक्ति के साथ करें। यहां बताए जा रहे विशेष हनुमान मंत्र का स्मरण चुस्त व संकटमुक्त रहने की ऐसी कामनासिद्धि कर बहुत ही मंगलकारी साबित होगा।
    • स्नान के बाद श्री हनुमान की पंचोपचार पूजा यानी सिंदूर, गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर करें।
    • गुग्गल धूप व दीप जलाकर नीचे लिखा हनुमान मंत्र लाल आसन पर बैठ साल और जीवन को सफल व पीड़ामुक्त बनाने की इच्छा से बोलें और अंत में श्री हनुमान की आरती करें।
    ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय
    विश्वरूपाय अमित विक्रमाय
    प्रकटपराक्रमाय महाबलाय
    सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।।
  • हनुमान, समस्त मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता
    रामभक्त हनुमान जैसा कोई दूसरा इस पृथ्वी पर नहीं। भक्त तो कई होंगे, लेकिन जो बात रुद्र अवतार हनुमानजी में है वह और किसी में नहीं। अंजनि पुत्र हनुमानजी का जन्म मंगलवार को हुआ इसीलिए कहते हैं कि मंगल को जन्मे हनुमान सदैव मंगल ही करने वाले हैं। कहते हैं, देवताओं के राजा इन्द्र ने भक्त हनुमान पर वज्र से प्रहार किया था जिसके चलते हनुमानज‍ी की ठुड्डी (हनु) टूट गई थी जिसके कारण उन्हें 'हनुमान' कहा जाता है।

    क्या आप जानते हैं कि हनुमानजी हमेशा सिन्दूरिया रंग में ही क्यों दिखाई देते हैं? एक बार बचपन में हनुमानजी ने अपनी मां को मांग में सिन्दूर लगाते हुए देखकर कारण पूछा। उनकी मां ने कहा कि वे अपने प्रभु यानी अपने पति को खुश करने और उनकी लंबी आयु के लिए अपनी मांग में सिन्दूर लगाती हैं।

    इसलिए हनुमानजी ने सोचा कि जब चुटकीभर सिन्दूर से ही मां के भगवान प्रसन्न हो सकते हैं तो मैं अपने पूरे शरीर को सिन्दूर से रंग लेता हूं, तभी से हनुमानजी ने सिन्दूर लगाना शुरू कर दिया। हनुमानजी बुद्धि और बल के दाता हैं। उत्तरकांड में भगवान राम ने हनुमानजी को प्रज्ञा, धीर, वीर, राजनीति में निपुण आदि विशेषणों से संबोधित किया है। हनुमानजी को मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता माना जाता है इसलिए मन्नत मानने वाले अनेक स्त्री-पुरुष हनुमान की मूर्ति की श्रद्धापूर्वक निर्धारित प्रदक्षिणा करते हैं।

    किसी कन्या का विवाह न हो रहा हो तो उसे ब्रह्मचारी हनुमान की उपासना करने को कहा जाता है।

    चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। प्रायः शनिवार व मंगलवार हनुमानजी के दिन माने जाते हैं। इस दिन हनुमानजी की प्रतिमा को सिन्दूर व तेल अर्पण करने की प्रथा है। हनुमानजी को प्रसाद में गुड़-चना सबसे अधिक प्रिय है। कहीं-कहीं खांड व चने का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

    यदि आपकी कोई समस्या हो तो पहले शुद्ध होकर एक खुशबूदार अगरबत्ती लगाएं व पीले फूल चढ़ाकर एक वजनी पत्थर रख अपनी समस्या बताकर कहें कि मेरी समस्या का समाधान होने पर पत्थर के वजन का सवाया प्रसाद चढ़ाऊंगा। जब तक आपकी समस्या हल न हो जाए, तब तक उस पत्थर को वहीं रहने दें।

    चमत्कारी हनुमान मंत्र

    वैसे तो हनुमानजी को अपनी पूजा करवाना पसंद नहीं है। वे रामभक्त होने से राम को ही प्राथमिकता देते हैं, फिर भी मंत्र इस प्रकार है-

    सर्व सिद्धिदायक हनुमान मंत्र

    हनुमान्माला मंत्र :

    श्री हनुमानजी के सम्मुख इस मंत्र का 51 बार पाठ करें और भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर पास में रख लें तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है।

    * 'ॐ वज्र-काय वज्र-तुण्ड कपिल-पिंगल ऊर्ध्व-केश महावीर सु-रक्त-मुख तडिज्जिह्व महा-रौद्र दंष्ट्रोत्कट कह-कह करालिने महा-दृढ़-प्रहारिन लंकेश्वर-वधायमहा-सेतु-बंध-महा-शैल-प्रवाह-गगने-चर एह्येहिं भगवन्महा-बल-पराक्रम भैरवाज्ञापय एह्येहि महारौद्र दीर्घ-पुच्छेन वेष्टय वैरिणं भंजय-भंजय हुँ फट्।।'

    एक और प्रसिद्ध मंत्र :

    इस मंत्र का नित्य प्रति 108 बार जप करने से सिद्धि मिलती है-

    * 'ॐ एं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंका विध्वंसनपायांनीगर्भसंभूताय शकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलि किलि बुवुकरेण विभीषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रौं ह्रां फट् स्वाहा।'
    * 'ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः।'

    इस मंत्र का 21 दिनों तक 12 हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान की दशांश आहुति दें। यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है।

    मंत्र जप में विशेष ध्यान में रखने वाली बात यह है कि पूर्णरूप से ब्रह्मचारी रहकर जप करना चाहिए।
  • हनुमान चालीसा में बजरंगबली के 109 नाम

    परम पूज्य आचार्य चरण गोस्वामी तुलसीदासजी रचित श्री हनुमान चालीसा में वर्णित श्री हनुमानजी के 109 नामों का उल्लेख श्री गोस्वामीजी ने बड़ी चतुराई के साथ किया है। श्री हनुमान चालीसा के 109 नाम श्री हनुमत सहस्त्र नाम से पूर्णतया मेल खाते हैं जिनका नाम क्रमांक प्रयास में प्रस्तुत किया जा रहा है।



    जिन नामों में क्रमांक नहीं है, वे अन्य ग्रंथ से लिए गए हैं। श्री हनुमान चालीसा के प्रारंभिक एवं समापन के दोहों में जो नाम प्राप्त हैं, वे यदि और मिला दिए जाएं तो नामों की संख्या 122 हो जाती है।

    जनकसुता जन जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुणानिधान की।।
    ताक जुग पद कमल मनावउं। जासु कृपा निरमल मति पावऊं।।
    अब प्रभु कृपा करहु एहि भांति। सब तजि भजन करां दिन राती।।


    1. श्री बाबा हनुमान- विशाल टेढ़ी ठुड्डी वाले।
    2. श्री बाबा ज्ञानसागर (242) ज्ञान के अथाह सागर।
    3. श्री बाबा गुण सागर (330) गुणों के अथाह सागर।
    4. श्री बाबा कपीश (137) वानरों के राजा।
    5. श्री बाबा तीनों लोकों को उजागर करने वाले (217)
    6. श्री बाबा रामचन्द्रजी के दूत बनने वाले (110)
    7. श्री बाबा अतुल बलशाली (425) (905)
    8. श्री बाबा माता अंजनी के पुत्र कहलाने वाले (828) (70)
    9. श्री बाबा पवन (वायुदेव) के पुत्र कहलाने वाले (583)
    10. श्री बाबा वीरों के वीर कहलाने वाले महावीर (321)
    11. श्री बाबा विक्रम विशेष पराक्रमी कहलाने वाले (130)
    12. श्री बाबा बजरंगी वज्र के समान अंग वाले (777)
    13. श्री बाबा सभी प्रकार की कुमती का निवारण करने वाले
    14. श्री बाबा सभी प्रकार की सुमती प्रदान करने वाले
    15. श्री बाबा कंचन वर्ण स्वर्ण के समान वेश धारण करने वाले (884)
    16. श्री बाबा (सुवेशा) भले प्रकार के वेश धारण करने वाले
    17. श्री बाबा कानों में कुण्डल धारण करने वाले (847)
    18. श्री बाबा कुंचीत केश घुंघराले बाल धारण करने वाले (579)
    19. श्री बाबा हाथ में गदा धारण करने वाले (908)
    20. श्री बाबा हाथ में ध्वजा धारण करने वाले (902)
    21. श्री बाबा मुन्ज की जनेऊ धारण करने वाले (881)
    22. श्री बाबा परमात्मा शिवशंकर के अवतारी (546)
    23. श्री बाबा वानरराज केशरी सुपुत्र कहलाने वाले
    24. श्री बाबा (विशेष) तेज प्रताप धारण करने वाले (504)
    25. श्री बाबा सारे विश्व से पुजित (महाजग वंदन) (428)
    26. श्री बाबा सारी विद्याओं में पारंगत (889)
    27. श्री बाबा सर्वगुण संपन्न (880)
    28. श्री बाबा अत्यंत कार्यकुशल (अत‍ि चातुर) (514)
    29. श्री बाबा श्रीराम के कार्य हेतु सदा आतुर रहने वाले (133)
    30. श्री बाबा श्रीराम चरित्र सुनने में आनंद रस लेने वाले (544)
    31. श्री बाबा श्री राजा रामजी के हृदय अंचल में बसने वाले (811)
    32. श्री बाबा लक्ष्मणजी वाले हृदय में बसने वाले (811)
    33. श्री बाबा श्री सीताजी के हृदय में बसने वाले
    34. श्री बाबा श्री अति लघुरूप धारण करने वाले (322)
    35. श्री बाबा अति भयंकर रूप धारण करने वाले (523)
    36. श्री बाबा लंका दहन करने वाले (216)
    37. श्री बाबा भीमकाय (विशाल) रूप धारण करने वाले (64)
    38. श्री बाबा असुरों का नाश करने वाले (693)
    39. श्री बाबा श्री रामचन्द्रजी के काज संवारने वाले (133)
    40. श्री बाबा संजीवनी बूटी लाने वाले (510)
    41. श्री बाबा लक्ष्मणजी के प्राण बचाने वाले (228)
    42. श्री बाबा रघुपतिजी का आलिंगन पाने वाले (525)
    43. श्री बाबा रघुपतिजी से प्रशंसा पाने वाले (811)
    44. श्री बाबा श्री भरतजी के समान प्रेम पाने वाले
    45. श्री बाबा हजारों मुखों से यशोगान श्रवण करने वाले (308)
    46. श्री बाबा सनकादिक ऋषियों, महर्षियों द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले
    47. श्री बाबा मुनियों द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (197)
    48. श्री बाबा ब्रह्माजी द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (695)
    49. श्री बाबा देवताओं द्वारा यशोगान करने वाले (486)
    50. श्री बाबा नारदजी द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (423)
    51. श्री बाबा सरस्वती द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (428)
    52. श्री बाबा शेषनागजी द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (429)
    53. श्री बाबा यमराजजी द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले
    54. श्री बाबा कुबेरजी द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (722)
    55. श्री बाबा सब दिशाओं के रक्षकों द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (615)
    56. श्री बाबा कवियों द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले
    57. श्री बाबा विद्वानों द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (863)
    58. श्री बाबा पंडितों द्वारा यशोगान श्रवण करने वाले (903)
    59. श्री बाबा श्री सुग्रीवजी पर उपकार करने वाले
    60. श्री बाबा श्री सुग्रीवजी को रामजी से मिलाने वाले
    61. श्री बाबा श्री सुग्रीवजी को राजपद दिलाने वाले
    62. श्री बाबा श्री वि‍भीषणजी को मंत्र प्रदान करने वाले
    63. श्री बाबा श्री वि‍भीषणजी को लंकापति बनाने वाले (569)
    64. श्री बाबा हजारों योजन तक उड़ने वाले ( 324)
    65. श्री बाबा श्री सूर्यनारायण को फल समझकर निगलने वाले
    66. श्री बाबा श्रीराम नाम मुद्रिका मुख में रखने वाले (148)
    67. श्री बाबा जलधी (समुद्र) को लांघने वाले (154)
    68. श्री बाबा कठ‍िन कार्य को सरल बनाने वाले
    69. श्री बाबा श्री रामचन्द्रजी के द्वार के रखवाले (838)
    70. श्री बाबा श्री रामचन्द्रजी के दरबार में प्रवेश की आज्ञा प्रदान करने वाले (श्री रामजी की आज्ञा के बगैर कहीं न जाने वाले)
    71. श्री बाबा शरणागत को सब सुख प्रदान करने वाले (94)
    72. श्री बाबा निज भक्तों को निर्भय (रक्षा) प्रदान करने वाले (276)
    73. श्री बाबा अपने वेग को स्वयं ही संभालने वाले (395)
    74. श्री बाबा अपनी ही हांक से तीनों लोक कम्पायमान करने वाले (878)
    75. श्री बाबा भूतों के भय से भक्तों को मुक्त करने वाले (978)
    76. श्री बाबा पिशाचों के भय से भक्तों को मुक्त करने वाले (678)
    77. श्री बाबा महावीर श्रीराम नाम श्रवण करने वाले
    78. श्री बाबा भक्तों के सभी रोगों का नाश करने वाले (32)
    79. श्री बाबा भक्तों की सभी पीड़ाओं का नाश करने वाले
    80. श्री बाबा मन से ध्यान करने वालों के संकट से छुड़ाने वाले (258)
    81. श्री बाबा कर्म से ध्यान करने वालों को संकट से छुड़ाने वाले (258)
    82. श्री बाबा वचन से ध्यान करने वालों के संकट से छुड़ाने वाले
    83. श्री बाबा तपस्वी राजा रामजी के कार्य को सहज करने वाले
    84. श्री बाबा भक्तों के मनोरथ (कामनाएं) पूर्ण करने वाले।
    85. श्री बाबा भक्तों को जीवन फल (रामभक्ति) प्रदान करने वाले (887)
    86. श्री बाबा चारों युगों में अपना यश (प्रताप) फैलाने वाले
    87. श्री बाबा कीर्ति को सर्वत्र फैलाने वाले (146)
    88. श्री बाबा जगत को उजागृत करने वाले
    89. श्री बाबा सज्जनों की रक्षा करने वाले (81)
    90. श्री बाबा दुष्टों का नाश करने वाले (96)
    91. श्री बाबा श्रीरामजी का असीम प्रेम पाने वाले (230)
    92. श्री बाबा अष्ट सिद्धि प्रदान करने वाले (209)
    93. श्री बाबा नवनिधि प्रदान करने वाले (15)
    94. श्री बाबा माता सीताजी से वरदान पाने वाले
    95. श्री बाबा रामनाम औषधि रखने वाले
    96. श्री बाबा श्री रघुपतिजी के दास कहलाने वाले (248)
    97. श्री बाबा अपने भजन से रामजी की प्राप्ति कराने वाले (821)
    98. श्री बाबा जन्म-जन्मांतर के दुख दूर करने वाले
    99. श्री बाबा अंतकाल में राम दरबार में पहुंचाने वाले (384)
    100. श्री बाबा निज भक्तों को श्रीराम भक्त बनाने वाले (195)
    101. श्री बाबा अपने सेवकों को सब सुख प्रदान करने वाले (484)
    102. श्री बाबा अपने सेवकों के संकट मिटाने वाले (786)
    103. श्री बाबा अपने सेवकों की सब पीड़ा मिटाने वाले (631)
    104. श्री बाबा श्री हनुमानजी बलियों के वीर
    105. श्री बाबा श्री सद्गुरुदेव स्वरूप श्री हनुमानजी (431)
    106. श्री बाबा अपने भक्तों को बंधनों से छुड़ाने वाले (665)
    107. श्री बाबा अपने भक्तों को महासुख प्रदान करने वाले
    108. श्री बाबा नित्य पाठ करने वालों को सिद्धियों की साक्षी करवाने वाले
    109. श्री बाबा श्री तुलसीदासजी के हृदय में निवास करने वाले।

  • कैसे प्राप्त करें हनुमानजी से बल?
    हनुमानजी की उपासना करने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते है। हनुमानजी ऐसे देवता है जो थोड़ी-सी प्रार्थना से भी अतिशीघ्र प्रसन्न होकर मनुष्य को जीवन में सुखी बना देते है। हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक महायोगी और साधक हनुमानजी के चरित्र में समाए संकल्प, एकाग्रता, ध्यान व साधना के सूत्र ज़िंदगी के लक्ष्यों को पूरा करने की सीख देते हैं।

    विशेष तौर पर मंगलवार और शनिवार पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माने गए हैं।
    • प्रतिदिन या विशेष कर मंगलवार के दिन हनुमानजी के दर्शन करें।
    • मंदिर में बजरंगबली के सम्मुख खड़े होकर अधिक से अधिक संख्या में 'राम' शब्द का जाप करें।
    • शनि की साढ़ेसाती, अढै़या से ग्रसित जातक हनुमानज‍ी की विशेष आराधना करें।
    • हनुमानजी के समक्ष तेल का दीपक लगाएं और उन्हें 5 गुलाब के पुष्प चढ़ाएं।
    • हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का पाठ करें।
    • नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन के सारे कष्ट नष्ट हो जाते हैं।
    • मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है तथा समस्त बाधाओं से मुक्ति भी मिलती है।
  • आज किस स्थान पर मिलेंगे हनुमान
    चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥
    संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
    अंतकाल रघुवरपुर जाई, जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥
    और देवता चित्त ना धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

    चारों युग में हनुमानजी के ही परताप से जगत में उजियारा है। हनुमान को छोड़कर और किसी देवी-देवता में चित्त धरने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आज भी हनुमानजी हमारे बीच इस धरती पर सशरीर मौजूद हैं।

    हनुमान इस कलियुग में सबसे ज्यादा जाग्रत और साक्षात हैं। कलियुग में हनुमान की भक्ति ही लोगों को दुख और संकट से बचाने में सक्षम हैं। बहुत से लोग किसी बाबा, देवी-देवता, ज्योतिष और तांत्रिकों के चक्कर में भटकते रहते हैं, क्योंकि वे हनुमान की भक्ति-शक्ति को नहीं पहचानते। ऐसे भटके हुए लोगों का राम ही भला करे।

    ''यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि।
    वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥''


    अर्थात कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं। सीताजी के वचनों के अनुसार- अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ॥

    यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्घा और विश्वास से इनका आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगती।

    हनुमानजी के जीवित होने के प्रमाण समय-समय पर प्राप्त होते रहे हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि हनुमानजी आज भी जीवित हैं। 16वीं सदी के महान संत कवि तुलसीदासजी को हनुमानजी की कृपा से ही रामजी के दर्शन प्राप्त हुए। कथा है कि हनुमानजी ने तुलसीदासजी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं। मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा, जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा।

    हनुमानजी की आज्ञा के अनुसार तुलसीदासजी चित्रकूट घाट पर बैठ गए और सभी आने- जाने वालों को चंदन लगाने लगे। राम और लक्ष्मण जब आए तो हनुमानजी गाने लगे 'चित्रकूट के घाट पै, भई संतन के भीर। तुलसीदास चंदन घिसै, तिलक देत रघुबीर।।' हनुमान के यह वचन सुनते ही तुलसीदास प्रभु राम और लक्ष्मण को निहारने लगे।' इस प्रकार तुलसीदासजी को रामजी के दर्शन हुए।

    हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं, ऐसा श्रीमद भागवत में वर्णन आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पांडव गंधमादन के पास पहुंचे थे। एक बार भीम सहस्रदल कमल लेने के लिए गंधमादन पर्वत के वन में पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान को लेटे देखा और फिर हनुमान ने भीम का घमंड चूर कर दिया था।

    गंधमादन पर्वत क्षेत्र और वन : गंधमादन पर्वत का उल्लेख कई पौराणिक हिन्दू धर्मग्रंथों में हुआ है। महाभारत की पुरा-कथाओं में भी गंधमादन पर्वत का वर्णन प्रमुखता से आता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि यहां के विशालकाय पर्वतमाला और वन क्षेत्र में देवता रमण करते हैं। पर्वतों में श्रेष्ठ इस पर्वत पर कश्यप ऋषि ने भी तपस्या की थी। गंधमादन पर्वत के शिखर पर किसी भी वाहन से नहीं पहुंचा जा सकता। गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं।

    वर्तमान में कहां है गंधमादन पर्वत? : इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के पास भी स्थित है, जहां से हनुमानजी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी, लेकिन हम उस पर्वत की नहीं बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है।

    पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था।

    कैसे पहुंचे गंधमादन : पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध था। इस क्षेत्र में दो रास्तों से जाया जा सकता है। पहला नेपाल के रास्ते मानसरोवर से आगे और दूसरा भूटान की पहाड़ियों से आगे और तीसरा अरुणाचल के रास्ते चीन होते हुए। संभवत महाभारत काल में अर्जुन ने असम के एक तीर्थ में जब हनुमानजी से भेंट की थी, तो हनुमानजी भूटान या अरुणाचल के रास्ते ही असम तीर्थ में आए होंगे।
  • बलवीर हनुमान का स्मरण अचूक उपाय
    सफलता की औषधि निराश मन में प्राण फूंक देती है। यह असफलता से आहत मन के लिए संजीवनी के समान होती है। इसका साथ मिलते ही विचार शक्ति के साथ कर्म की गति भी बढ़ जाती है। ऐसे में जागा आत्मविश्वास इंसान को अपनी शक्तियों की पहचान कराता है। ऐसा तभी संभव है जब इंसान बुरे वक्त में कर्म और खुद पर से विश्वास न छोड़े।

    सफल जीवन की ऐसी ही शक्ति पाने के धार्मिक उपायों में बलवीर हनुमान का स्मरण अचूक उपाय माना जाता है। क्योंकि हनुमानजी की भक्ति तन, मन, विचार व बुद्धि से संपन्न बनाने वाली मानी गई है। श्रीहनुमान चरित्र ही जीवन में पावनता, संयम और एकाग्रता के अद्भुत सूत्र सिखाता है, जो बेजोड़ सफलता के लिए जरूरी है।

    जानिए हनुमानजी का एक ऐसा मंत्र, जो आत्मविश्वास व सफलता बढ़ाकर नाकामयाबी व निराशा को दूर ही रखता है। जानिए यह हनुमान मंत्र उपाय, जो मंगलवार के अलावा हर रोज भी जरूर अपनाना चाहिए -

    शास्त्रों में किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिये खासतौर पर श्रीहनुमान का एक मंत्र बहुत ही प्रसिद्ध है। इसको लेकर मान्यता है कि हनुमानजी की इस मंत्र शक्ति को भगवान कृष्ण से पाकर ही अर्जुन ने कुरुक्षेत्र में सफलता का इतिहास रचा।

    इस मंत्र को मंगलवार, शनिवार या सफलता की कामना से हर रोज सुबह श्री हनुमान को सिंदूर, लाल चंदन या गंध, अक्षत, फूल, गुड़ से बने पकवान या गुड़-चने का नैवेद्य अर्पित कर धूप, चमेली के तेल या गाय के घी का दीप जलाकर यथाशक्ति लाल आसन पर बैठ 11, 21, 51 या रुद्राक्ष की माला या चंदन के दानों की माला से 108 बार पवित्र व एकाग्र मन से जप करें-

    "हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्"

    - इस छोटे किंतु शक्तिशाली मंत्र जप के बाद श्रीहनुमान की आरती कर सफलता की अड़चनों को दूर करने की कामना करें। प्रसाद ग्रहण करें, बांटे व सिंदूर मस्तक पर लगाएं।
  • सवेरे व सोते वक्त करें इस मंत्र से हनुमान ध्यान, रहेंगे खुशहाल
    हिन्दू धर्मग्रंथों के मुताबिक महायोगी और साधक हनुमानजी के चरित्र में समाए संकल्प, एकाग्रता, ध्यान व साधना के सूत्र ज़िंदगी के लक्ष्यों को पूरा करने की सीख देते हैं। इस संदेश के साथ कि अगर तन, मन और कर्म को दृढ़संकल्प, नियम और अनुशासन से साध लिया जाए तो फिर कोई भी बड़ा या कठिन लक्ष्य पाना बेहद आसान है।

    हर दिन असफलता व निराशा को पीछे धकेल, जीवन से जुड़े नए-नए लक्ष्यों को भेदने के लिए अगर शास्त्रों में बताए श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो हर दिन बहुत ही सफल, शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है।

    जानिए, धर्मग्रंथों में बताई यह खास हनुमान मंत्र स्तुति। इसे शनिवार, मंगलवार या हनुमान उपासना के खास अवसरों के अलावा हर रोज सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें -

    हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
    रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
    उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
    लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
    एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
    स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
    तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।


    इस खास मंत्र स्तुति में श्रीहनुमान के 12 नाम, उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं । ये नाम है - हनुमान, अञ्जनीसुत, वायुपुत्र, महाबली, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के साथी, पिङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।
  • ये हैं हनुमान चालीसा की पांच चौपाइयों के खास उपाय
    कलियुग में हनुमानजी के भक्तों की संख्या काफी अधिक है। विशेष रूप से हर मंगलवार और शनिवार को बजरंग बली के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। भगवान हनुमान को प्रसन्न करने का सबसे सरल और कारगर उपाय है हनुमान चालीसा का पाठ करना। कुछ ही समय की इस साधना से भक्तों को बजरंग बली की विशेष कृपा प्राप्त हो जाती है।

    हनुमान चालीसा की हर एक चौपाई और दोहा चमत्कारी है। यहां कुछ चौपाइयां ऐसी बताई जा रही हैं, जिनसे आपके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। यदि आप समय अभाव के कारण पूरी हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर सकते हैं तो इन चौपाइयों के जप से भी शुभ फल प्राप्त होने लगेंगे। ये चौपाइयां सर्वाधिक प्रचलित भी हैं।

    यहां जानिए कुछ खास चौपाइयां और उनके अर्थ। साथ ही जानिए किस चौपाई के जप से क्या होता है...

    रामदूत अतुलित बलधामा।
    अंजनिपुत्र पवनसुत नामा।


    यदि कोई व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है तो उसे शारीरिक कमजोरियों से मुक्ति मिलती है। इस पंक्ति का अर्थ यह है कि हनुमानजी श्रीराम के दूत हैं और अतुलित बल के धाम हैं। यानी हनुमानजी परम शक्तिशाली हैं। इनकी माता का नाम अंजनी है, इसी वजह से इन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी को पवन देव का पुत्र माना गया है और इसी वजह से इन्हें पवनसुत भी कहते हैं।

    महाबीर बिक्रम बजरंगी।
    कुमति निवार सुमति के संगी।।


    यदि कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा की इस पंक्ति का जप करता है तो उसे सुबुद्धि प्राप्त होती है। इस पंक्ति का जप करने वाले लोगों के कुविचार नष्ट होते हैं और सुविचार बनने लगते हैं। बुराई से ध्यान हटता है और अच्छाई की ओर मन लगता है।

    इस पंक्ति का अर्थ यह है कि बजरंगबली महावीर हैं और हनुमानजी कुमति को निवारते हैं यानी कुमति को दूर करते हैं। बजरंग बली सुमति यानी अच्छे विचारों को बढ़ाते हैं।

    बिद्यबान गुनी अति चातुर।
    रामकाज करीबे को आतुर।।


    यदि किसी व्यक्ति को विद्याधन चाहिए तो उसे इस पंक्ति का विशेष रूप से जप करना चाहिए। इस पंक्ति के जप से हमें विद्या और चतुराई प्राप्त होती है। इसके साथ ही हमारे हृदय में श्रीराम की भक्ति भी बढ़ती है।

    इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी विद्यावान और गुणवान हैं। हनुमानजी बहुत चतुर भी हैं। वे सदैव ही श्रीराम सेवा करने के लिए तत्पर रहते हैं। जो भी व्यक्ति इस चौपाई का जप करता है, उसे हनुमानजी से विद्या, गुण, चतुराई के साथ ही, श्रीराम की भक्ति प्राप्त होती है।

    भीम रूप धरि असुर संहारे।
    रामचंद्रजी के काज संवारे।।


    जब आप शत्रुओं से परेशान हो जाएं और कोई रास्ता दिखाई न दे तो हनुमान चालीसा की इस चौपाई का विशेष जप करें। यदि एकाग्रता और भक्ति के साथ हनुमान चालीसा की सिर्फ इस पंक्ति का जप किया जाए तो शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।

    इस पंक्ति का अर्थ यह है कि श्रीराम और रावण के बीच हुए युद्ध में हनुमानजी ने भीम रूप यानी विशाल रूप धारण किया था। इसी भीम रूप में असुरों-राक्षसों का संहार किया। श्रीराम के काम पूर्ण करने में हनुमानजी ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिससे श्रीराम के सभी काम संवर गए।

    लाय संजीवन लखन जियाये।
    श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।


    इस पंक्ति का जप करने से भयंकर बीमारियों से भी मुक्ति मिल जाती है। यदि कोई व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है और दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है तो उसे भक्ति के साथ पूरी हनुमान चालीसा या सिर्फ इस पंक्ति का विशेष जप करना चाहिए। दवाओं का असर होना शुरू हो जाएगा, बीमारी धीरे-धीरे ठीक होने लगेगी।

    इस चौपाई का अर्थ यह है कि रावण के पुत्र मेघनाद ने लक्ष्मण को मुर्छित कर दिया था। तब सभी की औषधियों से भी लक्ष्मण की चेतना लौट नहीं रही थी। तब हनुमानजी संजीवनी औषधि लेकर आए और लक्ष्मण के प्राण बचाए। हनुमानजी के इस चमत्कार से श्रीराम अतिप्रसन्न हुए।